This Is a book written by shri yogeshwaranand ji on Baglamukhi Sadhna . He is a writter of several books on tantra , mantra aughar anusthan, saraswati, durga, kali, shiv, and on various tantrik anu...
Mantra SadhanaFull description
Vagvadhini SadhanaFull description
Purely Collection from Internet
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Laghusyamala SadhanaFull description
Rajamatangi SadhanaFull description
BHOOTINI SADHNA
मन ि जसके आगे वह वह सोच भी नह सकता है ु य क कपना का एक ििनत दायरा होता हैि जसके और तक तक ब आगे क छ वीकार करने के िलए हमे शा हमे शा रोक लगा दे ती है, ुि उनको व ान से आगे ु छ लेि कन आज के आध वै ािनक परण म भी भी ऐसे कई कई तय सामने आये आये हैि जसके ि जसके ुि नक य ु ग म वै मायम से यह यह िस होता है क क मन िसफ जम से ले ले कर कर म तक क याा मा ृ य ु य क िगत िसफ ु तक नह है वरन वरन म तो एक पड़ाव मा ही है. मन ृ य ृ य ु तो ु य म ु के समय शरीर याग के बाद कोई ि िववध योनी को धारण करता हैि िववध ि िववध नाम और उपनाम िदए जाते है है. भले ही ही आज का िवान उसके िअतव पर अभी भी शोध कर रहा हो लेि कन लेि कन हमारे ाचीन िऋष म इस िवषय पर से कडो से कडो हज़ारो सालो पहले ही ही अय त अवे षण कर के ुि नय ने इस ं ही गाढ़ अवे षण अियधक िवमय य ृ य ु जानकारी जनमानस को दान क थी. मन ु य के म ु के बाद उसक ि नय ही िकाम क िकाम क िगत होती है तथा तथा इसी म मि िववध ि िववध कार क योनी उसे ा ा होती है या या उसका ुप नज म नज म होता है. इसके भी कई कई भे द भे द है, लेि कन लेि कन जो िचलत है वह वह योनी है भ भ ु त, े त, ि पशाच, रास या रास िआद है जो जो क कम जय होते है है. यह िवषय अय त ृ हद है. ं ही व यहाँ पर पर हम चचा कर करग त े त इन से ज ज ह ई िया क. ु डी ई ं म इन
ि िववध ियोनयो से सब ि धत ं ििववध कार के योग त ं म ा होते है. िजसमे साधनाओ के मायम सेि िववध कार के काय इन इतरियोनयो से करवाए जाते है. लेि कन यह साधनाए ि दखने मि जतनी सहज लगती है उतनी सहज होती नह है इस िलए साधक के िलए उम यह भी रहता है क वह इन इतरियोनय के सब ंध म लघ ु योग को सपन करे. ि जस कार भ ु त एक ुप षवाचक स ा ुि तनी एक ीवाचक स ा ु तः ं है उसी कार भ ं है. वत यह म ही है क भ ुि ितनयाँ डरावनी होती है तथा क ु प होती है, वरन सय तो यह है क भ ुि ितन का वप भी उसी कार से होता हैि जस कार से एक सामाय िलौकक ी का. उसमे भी स ु ं दरता तथा माध ु य होता है. वत ु तः यह साधना तथा साय के वप के िच ं तन पर उनका प हमारे सामने कट होता है, तािमसक साधना म भय ं कर प कट होना एक अलग बात है लेि कन सभी साधना म ऐसा ही हो यह ज़री नह है. त ु त एक िदवसीय योग एक अचरज प ू ण योग है, िजसे सपन करने पर साधक को भ ुि तनी को वन के मायम से य कर उसे दे ख सकता है तथा उसके साथ वाता लाप भी कर सकता है. साधको के िलए यह योग एक कार से इस िलए भी महवप ू ण है क इसके मायम से िय अपने वन म भ ुि तनी से कोई भी का जवाब ा कर सकता है. यह योग भ ुि तनी के तामस भाव के साधन का योग नह है, अतः िय को भ ुि तनी सौय वप म ही यमान होगी. यह योग साधक िकसी भी अमावया को करे तो उम है, वै से यह योग िकसी भी ब ुधवार को िकया जा सकता है. साधक को यह योग राी काल म १० बजे के बाद करे. सव थम साधक को नान िआद से ि नव प जन तथा ग ृ त हो कर लाल व पहे न कर लाल आसान पर बै ठ जाए. ग ु ू ु म ं का जाप करने के बाद िदए गए य को सफ़ेद कागज़ पर बनाना िचाहए. इसके िलए साधक को केले के ि छलके को िपस कर उसका घोल बना कर उसमे क ु मक ु म िमला कर उस याही का योग करना िचाहए. साधक वट व ृ के लकड़ी क कलम का योग करे. य बन जाने पर साधक
को उस य को अपने सामनेि कसी पा म रख दे ना है तथा ते ल का दीपक लगा कर म ं जाप श ु करना िचाहए. साधक को िनन म ं क ११ माला म ं जाप करनी है इसके िलए साधक को ा क माला का योग करना िचाहए. ं ं ं ु भ तेरी ं ं ं फट ् (bhram bhram bhram bhuteshwari bhram bhram bhram phat)
म प ण होने पर जल रहे दीपक से उस य को जला दे ना है. य क जो भम बने गी उस ं जाप ू भम से ललाट पर ितलक करना है तथा ितन बार उपरो म ं का उचारण करना है. इसके बाद साधक अपने मन म जो भी है उसके मन ही मन ३ बार उचारण करे तथा सो जाए. साधक को राी काल म भ ुि तनी वन म दश न दे ती है तथा उसके का जवाब दे ती है. जवाब िमलने पर साधक क नद ख ु ल जाती है, उस समय ा जवाब को िलख ले ना िचाहए अयथा भ ू ल जाने क स ंभावना रहती है. साधक दीपक को तथा माला को िकसी और साधना म योग न करे लेि कन इसी साधना को द ु बारा करने के िलए इसका योग िकया जा सकता है. ि जस पा म य रखा गया है उसको धो ले ना िचाहए. उसका उपयोग िकया जा सकता है. अगर य क राख बची ह ई है तो उस राख को तथा िजस लकड़ी से य का अ कन ं िकया गया है उस लकड़ी को भी साधक िवाहत कर दे. साधक द ु बह उठ कर उस ितलक ू सरे िदन स को चे हरा धो कर हटा सकता है लेि कन ितलक को स ु बह तक रखना ही ज़री है.