Hindi Book-Panch Pran-Panch Dev by Shri Ram Sharma
about gem stonesFull description
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UrgentNa i ratna medicina
Descripción: ansis
ratnaFull description
panchadasha karma ,smartha,telugu, support author purchase originalFull description
Urgetna i ratna hirurgija predstavlja prirucnik, namenjena je hirurgiji uopste.
Ratna Evan Rudraksha RahasyaFull description
Deskripsi lengkap
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SOP Penatalaksanaan Syok Anafilaktik
1
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Alternate Healing
Ratna Shastra -The Mystery Hidden in Gemstones
NIKHIL PANCH RATNA
ि िनखलपचरन भी इस ि िनखलपचरन भी इस कार अपने कार अपने आप म म कई कई रहय रहय को को समे समे टे ह ह वे है है. इसके पच पच पद पद सम म हर हर एक एक पद पद म म एक एक म म का का ि ववरण ि ववरण ि दया ि दया ह ह आ आ है है जो जो क क सदग सदग से सब सब ंि धत है है. ू ह म ु दे व से ि नय ही अगर ही अगर इसका इसका ग ग समज कर कर इन इन म म ं ो का का योग योग ि कया ि कया जाए जाए तो तो िय िय कई कई कार कार ू ढाथ समज क ि िसय ि िसय क क ाि ाि कर कर सकता सकता है है. मय मय ंि शयव ि शयव ं प प दाय नय नय ं 1. साकारग ु णामक ू ण दाय व ं मय मय ं सयास सयास मय मय ंि िनखले ि िनखलेर ग ुग वर िपाह िपाह भो भो
ॐ ऐ ं ि न ि िनखलेराय नमः नमः” (om aing nim nikhileshwaraay ं ंि िनखले namah)
इस म म का जाप जाप करने करने िय िय को को ह ह से से य य सदग व के के सयत सयत वप वप ि िनखले ि िनखलेरान दजी ु सदग ु दे व ं का ं से ि शयव ि शयव के के प ू प ण ग ग क ाि ाि एव एव ं बोध बोध तथा तथा साकार साकार ग ग से परप परप ह का का दश दश न स स ु ण क ु ण से ू ण ह ु लभ होता है है अथा त त आा आा च च का का जागरण जागरण होता होता है है. वर अज दया दया दे देह ं लय लय बीज बीज माण माण ं स स कर ं 2. कणा वर अज ृि कर व ं म म मय मय ं व व ं त त मय मय ंि िनखले ि िनखलेर ग ुग वर िपाह िपाह भो भो
व ं वा वा ं व व ि िनखले ि िनखलेराय राय नमः नमः (vam vaam veem nikhileshwaraay namah) साधक को को मं मं साधना साधना तथा तथा तं तं साधना साधना म म सफलता सफलता क क िपा िपा होती होती ह ै ह . साधना सफलता सफलता क े क साथ साथ साथ े स े स े भावो का उचिकोट क क साधना साधना क े क ि लए जो जो म ु म खय भाव खय भाव िचाहए िचाहए वह वह दया दया तथा तथा कणा कणा ज ज का उदय भी उदय भी इस इस े होता े सबं िपया क े क मायम स स होता ह ै ह . साधक क ेक िवाधान च च का का जागरण जागरण होता होता ह ै ह तथा तथा उसस उसस सबंिधत लाभ लाभ क िपा िपा होती होती ह ै ह .
ॐ ह ं य ं र ंि न ंि िनखलेराय नमः (Om Ham Yam Ram Nim Nikhileshwaraay Namah)
इस म ु िडलनी म म ं का जाप करने पर ि शय को आत ं रक प से स रण ं ि मलता है तथा क वह िगतशील हो जाता है. इन पा ं चो म ं ो को साधक अपने ारा ि िनत स ं या म दैि नक साधना करने के बाद जाप कर सकता है. साधक सभी म ं ो क एक एक माला ि नय साधना म म ं जाप के बाद करे. ऐसा नह हे क साधक को पा ं चो म ं करना आवयक ही है. साधक चाहे तो कोई
भी म ं का जाप कर सकता है. इसके अलावा साधक ११ माला ११ि दन , २१ माला २१ि दन तक का म ं योग भी कर सकता है. साधक चाहे तो सभी म ं ो का अलग अलग प म सवालाख म ं का अन ु ान म भी कर सकता है. योग तथा अन ु ान म साधक के व सफ़ेद रहे, साधक को सफ़ेद आसान पर उर ि दशा क तरफ म ु ख कर बै ठना िचाहए . प ू जन ि वधान िआद सपन कर साधक को योग या अन ु ािनक म जाप करना िचाहए . साधक ि दन या रात के समय का चयन कर सकता है लेि कन रोज समय एक ही रहे यह आवयक है.ि िनत प से यह सब म ं अियधक ि िसद है तथा वह साधक सौभायशाली होता है जो इन म ं ो का जाप करता है. This is taken from http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/ for convenience of all gurubhais. http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/08/nikhil-panch-ratna-rahasya1.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/08/nikhil-panch-ratna-rahasya2.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/09/nikhil-panch-ratna-rahasya3.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/09/nikhil-panch-ratna-rahasya4.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/09/nikhil-panch-ratna-5.html