॥ अमघ अमघशव शवकव कवचम चम ्॥ .. amogha amogha shiv shivakach akach ..
sanskritdocuments.org April 10, 2015
Document Information Text title : amogha shivakavacha File name : amoghashivakavach.itx Category : kavacha Location : doc_shiva Language : Sanskrit Subject : Hinduism/religion/traditional Transliterated by : Surin Usgaonkar usgaonkar at hotmail.com Proofread by : Surin Usgaonkar usgaonkar at hotmail.com Description-comments : shrIskaande mahaapuraaNe ekaashItisaahasrayaa.n tRitIye brahmottarakhaNDe Latest update : October 14, 2005, September 28, 2014 Send corrections to :
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् ॥ अमघशवकवचम ॥ ॥ अमघशवकवचम ्॥ The amogha shivakavacha stotra is found in the skandapurANa. It is believed that chanting of these mantras everyday gets rid of the negative energy that affects the human body and protects the body and soul. The kavach is peculiar in the sense that it uses words like म, ् वषट ्, वषट ्, and फट ् which have no real meaning in the Sanskrit language but are used to produce particular sound waves. This practice is found more often in the skandapurAN than in any other ancient Sanskrit literature. Usually Vedic mantras have meaning. The kavach uses the procedure called ास , which involves invoking particular deities to protect particular parts of the human body. The practice of ास is prevalent since ancient times and occurs in many Sanskrit rituals in different forms. It is believed by some that the skandapuraNa is mystical and involves many aspects, which are followed by those who follow यात ुधान शा प . (black magic) or the tantriks of शा
॥ अथ अमघशवकवचम ्॥ ॥ ऋादासः ॥ 1
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॥ अमघशवकवचम ्॥
ॐ ॄऋषय े नमः शरस । अन ु ुप ्छस े नमः, म ुख े । ेवताय ौीसदाशविद ता नमः द । ॑शय े नमः पादयः पा । व ं कीलका की काय नमः नाभ ना । ौी ॑ीमत बीजा बीजाय नमः ग ु े । वनयगाय नमः, सवा े । ॥अथकरासः॥ ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ॑रां सव शधा े ईशानान ेअ ुाा ं नमः। ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ न ं र नतृधाम े त ुषान े तज नीा ं ाहा हा । ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ मं ं अनादशधा े अघरान े ममाा ं वषट ् । ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ श ं र ेवान े अनाभका तशधा े वामद काां म ्। ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐवार अशधा े सजातान े कनकाा ं वषट ् । ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐयं रः अनादशधा े सवा न ेकरतलकरपृाा ं फट ् । ॥ दया याासः ॥ ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ॑रा ं सव शधा े ईशानान ेदया याय नमः । ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ न ं र नतृधा े त ुषान े शरस े ाहा हा । ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ मं ं अनादशधा े अघरान े शखाय वषट ् । ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ श ं र ेवान े कवचाय म ्। तशधा े वामद ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐ वा ं र अशधा े सजातान े न ेयाय वषट ् । ॐ नम भगवत े लालामलन ेॐयं रः अनादशधा े सवा न ेअाय फट ् । अथ ानम ् वळदंंनयनंकालकठमरमम ्। े श ुम ुमापतम ्। सहकरम ु ं व ॥ कवचम ्॥
॥ अमघशवकवचम ्॥ ेव ं वापनमीरम ्। नमृ महा हाद व े शवमय ं वम सव राकर ं न ृणाम ्॥ १॥ ेश े समा श ुच द मासी सीन यथा थावता तासनः । जत ेय जतूा तूाणय ेवमम ्॥ २॥ ह ुडरीकारस ंनव ं त ेजसा ानभऽवका काशम ्। ेशम ्॥ ३॥ अतीय ं स मनमा ं ाय ेत ्परानमय ं मह ानावध ताखलकम बर ं चदानमच ेताः। षडराससमा माहताा शैव ेन क ुय ात ्कवच ेन राम ्॥ ४॥ प े पतत ं गभीर े । ेवऽखलद ेवताा मा ं पात ु द ता स ंसारक ताम द ं वरमम ल ं ध ुनत ु म े सव मघ ं दम ्॥ ५॥ सव मा ं रत ु वम त ता नघनदाा । अणरणीयान ुशर ेकः स ईरः पात पा ु भयादश ेषात ्॥ ६॥ य भ प ेण बभत व ं पायात ्स भ म ेग रशऽम त ः । यऽपा ं प ेण न ृणा ं करत सीवन ं सऽवत ु मा ं जल ेः॥७॥ कावसान े भ ुवनान ना दा सवा वा णयन ृत भ रलीलः । स कालिऽवत ु मा ं दवा ेव ाादभीत ेरखला ला तापात ्॥ ८॥ ूदीव ुनकावभास वावराभीतक ुठारपा पाणः । चत ुम ुख ुषन ेः ूाा ं त ं रत ु मामजम ्॥ ९॥ क ुठारव ेदा शपाशश लकपालढाग ुणान ्दधानः धा । चत ुम ुख नीलचन ेः पायादघर दश दणाम ्॥ १०॥ क ुद शटकावभास व ेदामाला लावरदाभयाः । त ुव उूभावः भा सऽधजा जातऽवत ु मा ं ूतीचाम ्॥ ११॥ वरामा मालाभयटहः सरजकसमानवण ः । ेवः॥१२॥ लचनाचत ुम ुख मा ं पायादा ं दश वामद व ेदाभय ेा शपाशट कपालढाश लपाणः । सत ुतः पम ुखऽवताा मीशान ऊ परमूकाशः ॥ १३॥ म ानमाम चमलभा ल ं ममाादथ भालन ेः । न े े ममााद ्भगन ेहारी हारी नासां नासां सदा दा रत ुअ वना नाथः ॥ १४॥ पायाती ती म े ौ ुतगीतकीत ः कपलमात ्सततं कपा पाली ली । व ं सदा दा रत ु पव जा ं सदा दा रत ु व ेदजः ॥ १५॥
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॥ अमघशवकवचम ्॥
कठ ं गरीशऽवत ु नीलकठः पणय ं पात ु पनाकपा पाणः । दम ल माम धम बाव ःल ं दमखाकऽात ्॥ १६॥ ममदरं पात ु गरीधा मं ममा माादना नाकारी । ेह रता तात मम पात पा ु नाभंपायात ्क टीध ज टरीर म े ॥१७॥ ऊय ं पात ु क ुब ेरम जान ुय ं म े जगदीरऽात ्। जाय ुग ं प ुवक ेत ुरात ्पाद ममा माात ्स ुरवपा पादः ॥ १८॥ ेरः पात ु दनादयाम े मां मयाम ेऽवत ु वामद ेवः । मह यकः पात ु तृतीययाम े वृष जः पात ु दनायाम े ॥१९॥ पाया याशाद शशश ेखर मां गाधर रत ु मां नशीथ े । गरीपतः पात ु नशावंसान े मृ ुय रत ु सव कालम ्॥ २०॥ अःत ं रत ु शर मा ं ाण ुः सदा दा पात पा ु बहःत ं माम ्। तदर े पात ु पतः पश नां नां सदा दाशव रत ु मां समात ्॥ २१॥ तमा नकनाथः ना पायात ्ोजं ूमथाधनाथः । ुव ै व ेदाव ेऽवत ु मा ं नषण ं मामयः पात ु शवः शया यानम ्॥ २२॥ माग ष ु मा ं रत ु नीलकठः शै लादग ष ु प ुरयारः । अरयवासादमहाूवास े पायाृगाध उदा दारशः ॥ २३॥ काकाटपपट ुूकपः ु टाहासलता ताडकशः । घरारस ेनाण वन वार महा हाभयाद ् रत ु वीरिभः वी ॥ २४॥ पमातघटावथ सहलाय ुतकटभीषणम ्। अहणीना ं शतमाततायना ं छाृड घरक ुठारधा ठा धारया या ॥ २५॥ नह ु द न ्ूलयानलाच लत ्श ल ं प ुराक । लस ंह व ृकादह ंान ्सासयीशधन ुः पनाकम ्॥ २६॥ शा ःँशक ु नग तदम न भ सनहय शा ं स । ् हात उाततापवषभीतमसद ाध नाशयत ु म े जगता तामधी धीशः ॥ २७॥ ॐ नम भगवत े सदाशवाय सकलताकाय सकलतवहारा राय सकललकै कै कक े सकललकैकभ े सकललकक ै कह े सकललकक ै कग ुरव े सकललक ै कसाण े
॥ अमघशवकवचम ्॥ सकलनगमग ुाय सकलवरूदाय सकलरता भनाय सकलजगदभयाराय सकललक राय शशा शाश ेखराय ै कशरा शात नजाभासाय नग ुणाय नपमाय नीपा पाय नराभासाय ाय नाय नरामाय नपाय नलाय न नम लाय नग माय नपवभवा वाय नपमवभवा वाय नरा राधाराय नश ुपरप ण सदानायाय परमशाूकाशत ेजपाय जय जय महा हाि महा हारि िभावतार िभा ःखदा दावदारण महाभैरव कालभै का रव काभैरव कपालमालाधर खाखचम पाशा शडमश लचापबाणगदाशभपाल तमरम ुसलम ुरपशपरश ुपरघभ ुश ुडीशतीचाय ुध भीषणकर सहम ुख द ंाकराल वकटाहासवारतॄाडमडलनाग ेक ुडल नाग ेहार नाग े वलय नाग ेचम ध रमृ ुय क प ुराक वपा व ेर वप व ृषभवाहन वषभ षण वतम ुख सव त ररमा ं लल महामृ ुभयमपमृ ुभय ं नाशय नाशय ना वषसप भय ं शमय शमय चरभयं मारय मा मारय मा मम श न ुाटयाटय श ल ेन वदरा राय वदा दारय ख ेन छ छ खा ेन वपथय वपथय म ुसल ेन न ेषय न ेष य बाणै साडय साडय रां स भीषय भी भीषय भी भ तान िवा िवावय िवा िवावय क ाडव ेतालमारीगणॄरासान ्सासय सासय मामभय ं क ु क ु व ं मामाासयाासय नरकभया यााम ुरारय सीवय सीवय ु ृां मामाायया याायय ःखात ुरं मामा मानयानय शवकवच ेन मामाादया याादय क सदा दाशव नम े नम े नम े । ऋषभ उवा वाच इ ेत वचं श ैवं वरदं ातं मया या । सव बाधाूशमन ं रह ं सव द े हनाम ्॥ २८॥ यः सदा दा धारय े धा ः श ैवं क वचम ुमम ्। न त जायत जा े ाप भय ं शरन ुहात ्॥ २९॥ ीणाय ुम ृ ुमाप महा हारगहतऽप वा । सःस ुखमवात दीघ माय ु वत॥३०॥ सव दारशमन ं समववध नम ्।
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॥ अमघशवकवचम ्॥
य ध े कवच ं श ैवं स द े ै वर पप त े ॥३१॥ महापातकसातैम ुत े चपपातकैः । ेहा े शवमात शववमा न ुभावतः द भा ॥ ३२॥ मप ौया या व शै व ं कवचम ुमम ्। धारय धा मया या द ं सःौ ेय वा वास ॥ ३३॥ े महाप ुराण े एकाशीतसाहया ं तृतीय े इत ौीा ॄरखड े अमघशवकवच ं स ण म ्। Encoded and proofread by Surin Usgaonkar usgaonkar at hotmail.com
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